बुधवार, 18 नवंबर 2020

महिलाओं की आजादी : सच्चाई या मिथ्य

आजादी शब्द से तो सभी परिचित होंगे। हमारे देश के अंदर सभी नागरिकों को स्वतंत्रता का अधिकार भी प्राप्त है। 



लेकिन सवाल यहां पर यह है कि क्या संविधान से मिली स्वतंत्रता का अधिकार से सचमुच में हमें आजादी मिल जाती है? 

      तो मेरा यहां जवाब होगा शायद नहीं...............   अगर मिलती भी है तो सिर्फ बाह्य रूप से।  

क्योंकि इंसान को आजादी तो अंदर से या आंतरिक रूप से मिलती है, या मैं कहूं कि आजादी मन की शांति खुशी और स्वस्थ मानसिकता है तो गलत नहीं होगा। 

मेरे इस परिभाषा के अनुसार तो जनसंख्या की मात्र 10℅ ही लोग आजादी का सुख भोग रहे हैं। 

वैसे, मैं कुल जनसंख्या की लगभग आधी हिस्सा महिलाओं की मुख्य रूप से बात कर रही हूं। 

संवैधानिक रूप से कानूनी रूप से महिलाओं को बहुत सारे अधिकार मिले हैं फिर भी करियर के प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या काफी कम है ।आखिर क्यों? 

मेरी मान्यता के अनुसार इसका जवाब होगा - 'मानसिक गुलामी।' 

  मुझे एक छोटा सा उदाहरण याद आ रहा है , स्कूली दिनों की बात है, जब हम कभी अपने शिक्षक से कहते हैं - सर , हमसे यह काम नहीं हो पाएगा , तो हमें वह एक हाथी का उदाहरण देते हुए एक कहानी सुनाया करते थे - 


एक  छोटा सा हाथी था, जिसे जंजीरों से बांधकर रखा गया था । बेचारा हाथी काफी कोशिश किया कि उस जंजीर को वह तोड़ दें लेकिन वह नहीं तोड़ पाया। कुछ सालों के बाद , वह बड़ा हो गया अब वह उस जंजीर को तोड़ सकता था, लेकिन अफसोस वह मान लिया था कि वह इसी नहीं तोड़ पाएगा। वह तो पतली रस्सी को भी नहीं तोड़ता क्योंकि वह मानसिक रूप से गुलाम बन चुका था। 



कुछ ऐसी ही गुलामी में महिलाएं जीती है । यह गुलामी की जंजीर को कोई भी अधिकार नहीं तोड़ सकता। 

 एक छोटा सा उदाहरण कई बार मेरा वाद-विवाद महिलाओं के कपड़े को लेकर हो जाता है। मैं समीक्षा करती हूं कि 80 -90℅  लोग महिलाओं के साथ हो रहे क्राइम को लेकर उनके कपड़े और उसके स्वाभिमानी विचारधारा को मानते हैं। 

  चलो, मैं इन लोगों से भी सहमत हो जाती हूं। मैं भी पूर्ण रूप से पश्चिमीकरण के पक्ष में नहीं हूं । मुझे अपनी संस्कृति सबसे ज्यादा प्रिय है लेकिन लोगों से मेरा 2 सवाल है-

• गर्ल चाइल्ड के साथ अपराध क्यों? 

• महिलाएं पूर्ण रूप से भारतीय संस्कृति को अपनाती है     जबकि पुरुषों के वस्त्र तो 90 ℅  पश्चिमी  है तो इस         विचारधारा के अनुसार महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों से     ज्यादा अपराध होने चाहिए थे? 

 मुझे कोई धोती कुर्ता में नजर नहीं आता। 

निष्कर्षत: मैं यह कहूंगी  किसी और की संस्कृति की अच्छाईयों को अपनाना अपनी संस्कृति को त्यागना कतई नहीं कहलाएगा।

(नोट - कोई भी इसे व्यक्तिगत् रूप से न लें।) 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Privacy Policy

Water Ball crab Runner 2 Privacy Policy on July 20, 2025                              Privacy Policy Effective Date: 21/07/2025 Last Update ...